(सारे चित्र गूगल से साभार )
ईश-वन्दना
हे प्रभु उतरो इस धरती पर !!
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' स्वतंत्रता ' का धीरज
टूटा |
हे प्रभु उतरो इस धरती पर !!
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'कलि'ने अपना 'बिगुल' बजाया |
'पुण्य-दलन अभियान ' चलाया ||
चली 'वासना' अपनी बाहें,
'तृष्णा' की बाहों में डाले |
'तृष्णा' की बाहों में डाले |
तुम्हें छोड़ कर कौन जगत
में,
जो इन सब से सृष्टि बचा ले !!
जो इन सब से सृष्टि बचा ले !!
'राजनीति'बन ठन कर निकली |
'खेल' खेल कर स्वाँग सा झूठा-
ठठ्ठा मार रही है जी भर |
हे प्रभु उतरो इस धरती पर
!!१!!
हैं 'विनाश' ने नयना खोले |
'धर्म-रत्न 'सब छिपे टटोले ||
लगता इन्हें लूटने आया,
'दुराग्रह' को साथ में लाकर |
'दुराग्रह' को साथ में लाकर |
'मानवता की रत्न-पिटारी',
पटकी,खोली, और हिलाकर ||
पटकी,खोली, और हिलाकर ||
चुरा लिए हैं 'शील के मोती '|
किया है अपहृत 'प्रेम अनूठा '|
'विश्वासों की माला' ली हर |
हे प्रभु उतरो इस धरती पर
!!२!!
नाच रही है अट्टहास कर |
नाच रही है अट्टहास कर |
चहुँ तरफा मैली कुवास भर ||
धसक धसक कर धरा डोलती,
लगता कोइ ज़लज़ला आया |
लगता कोइ ज़लज़ला आया |
'सज्जनता' को पीड़ा पहुँची,
नयनों नीर छलकता आया ||
नयनों नीर छलकता आया ||
'हिंसा','छलना',सहेलियाँ दो,
'मर्यादा' को दिखा अंगूठा |
निकली हैं, लगता मद पी कर |
हे प्रभु उतरो इस धरती पर
!!३!!
चला 'स्वेच्छाचार' रौंदने |
'मानवता' की जड़ें
खोदने ||
'करुणा ',' दया 'औ 'ममता ' भागीं,
छुपने अपनी 'लाज 'बचाने |
छुपने अपनी 'लाज 'बचाने |
संयम,नियम के बन्धन तोड़े,
'मनमानी ' का नाच नचाने ||
'मनमानी ' का नाच नचाने ||
ज्यों हिंसक मरखने बैल ने,
तोड़ दिया हो अपना खूटा |
कुचल रहा हो,सबको जी भर |
हे प्रभु उतरो इस धरती पर
!!४!!
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